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Mar 7, 2010

तेहरान की छते (Roofrops of Tehran)


बहुत दिनों बाद जो कोई एक किताब एक झटके में ख़त्म की वों Mahbod Seraji की Rooftops of Tehraan है. किताब पढ़ते हुये मैं भी बहुत देर तक तेहरान की छतों पर बैठी रही। पूरी किताब कुछ १७-१८ साल के कुछ चार बच्चों उनके परिवार और १९७० के आसपास इरान के समय की है, जब इरान के शाह का राज था। उपन्यास का मुख्य पात्र पाशा गर्मी की रातों में अपनी छत पर अपने दोस्त अहमद के साथ बातें करते, तारों को गिनते, किताब पढ़ते गुजारता है, और कई रातें छत पर बैठे अपनी प्रेमिका के साथ जो एक ईंट की दीवार पार बगल की छत पर बैठी रहती है, और कई बार उसे लांघकर आरपार जाना भी होता है।

एक कुछ थोड़ी बड़ी उम्र का इन बच्चों का दोस्त जो वामपंथी है, शाह की खुफ़िया पुलिस (SAVAK) के हत्थे चढ़ता है और क़त्ल होता है। इस अचानक हुयी घटना में इन चार किशोरवय लड़के-लड़कियों का जीवन छिन्न-भिन्न होता है, उसी के इर्द-गिर्द ये उपन्यास बुना गया है। किशोरवय की दोस्ती, प्रेम, इरान के परिवारों का भीतरी मीठा माहौल, बच्चों की गलियों मोहल्लों की दोस्तीयां। एक बूढ़ी नास्तिक दादी, जो अपने पति के मरने के बाद कुछ सिरफिरी होकर रोज अपने प्रेम की कहानिया गढ़ती रहती है, कि कैसे अपने पति से मिली थी। कुछ इन बच्चों के माता-पिता की अपनी प्रेम कहानियां, राजनीतिक गतिविधियों की कहानियां, कुछ किताबे, कुल मिलाकर इरान की क्रांती से पहले के समाज की एक झलक दिखाता है। किताब से अलग पिछले ४० सालों में इरान ने इस्लामिक क्रांति देखी है, और उसके भीतर भी आज तक जनतांत्रिक मूल्यों के लिए तीखा संघर्ष लगातार जारी है. ये किताब कुछ उन्ही लोगो को समझने की एक नयी नज़र देती है। बहुत सीधी सरल-तरल किताब, एक सांस में पढ़कर ख़त्म होने वाली. किताब के कवर पर गुलेसुर्खी (ग़ुलाब) एक तरह से पूरी किताब का प्रतीक है, गहरी दोस्ती प्रेम और बलिदान का। लेखक के लिए स्मृति का भी शायद. हमारी अपनी हिन्दी में इतने जाने पहचाने शब्द फ़ारसी के मिले हुये है कि कुछ जाना पहचाना लोक लगता है. किताब अंत में आकर कुछ फ़िल्मी तरीके से सुखद हो जाती है, जो शायद इस किताब का कमजोर पक्ष है.

5 comments:

  1. कभी समय मिला तो ज़रूर पढुगा,
    अच्छी जानकारी दी आपने.

    विकास पाण्डेय
    www.विचारो का दर्पण.blogspot.com

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  3. किसी रचना के प्रति गहन मगर ’टु द पॉइंट’ प्रस्तावना सहज ही उसके लिये रुचि जगा देते हैं..इस फ़िक्शन मे ’रूफ़टॉप’ किस बात का रूपक है यह भी बताते जरा..

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  4. @apoorv
    उपन्यास का मुख्य पात्र पाशा गर्मी की रातों में अपनी छत पर अपने दोस्त अहमद के साथ बातें करते, तारों को गिनते, किताब पढ़ते गुजारता है, और कई रातें छत पर बैठे अपनी प्रेमिका के साथ जो एक ईंट की दीवार पार बगल की छत पर बैठी रहती है, और कई बार उसे लांघकर आरपार जाना भी होता है।

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  5. इस पुस्तक से परिचय करवाने के लिये बहुत बहुत धन्यवाद ।

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