tag:blogger.com,1999:blog-7419432935264098805.post1916776840093198334..comments2023-05-16T08:56:16.828-07:00Comments on स्वप्नदर्शी: छद्मनाम की परम्परा और ब्लोग्गेर्स के लिए पहेलीस्वप्नदर्शीhttp://www.blogger.com/profile/15273098014066821195noreply@blogger.comBlogger15125tag:blogger.com,1999:blog-7419432935264098805.post-20209476251881792862009-08-04T06:38:02.672-07:002009-08-04T06:38:02.672-07:00नीरज जी, मैं अपने विचारों के लिये पहचाना जाना चाहत...नीरज जी, मैं अपने विचारों के लिये पहचाना जाना चाहता हूं न कि अपने परिचय से। हमारे देश में परिचय विचारों पर परत डाल देते हैं। इसलिये छ्द्मनाम से लिखता हूं। मुझे तो नहीं लगता कि इस तरह से लिखने में कोई दोष है।उन्मुक्तhttp://esnips.com/web/unmuktMusicFiles/noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7419432935264098805.post-38267443876555514892009-05-01T13:55:00.000-07:002009-05-01T13:55:00.000-07:00आप सब का इस पोस्ट को पढने और कमेन्ट कराने के लिए ध...आप सब का इस पोस्ट को पढने और कमेन्ट कराने के लिए धन्यवाद। युनुस जी का खासतौर पर उनके सही उत्तरों के लिए। इस पोस्ट का मकसद अपने ब्लोगेर समुदाय से एक विनम्र निवेदन था की चीजों को, नज़रियों को और सवालो को कुछ सरल २ मिनिट मेग्गी-नूडल टाईप के समाधानों से हल करने का हठ छोड़ दे। अगले महीने तक देखे की क्या ज़बाब पूरे आ पाते है?स्वप्नदर्शीhttps://www.blogger.com/profile/15273098014066821195noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7419432935264098805.post-62284007374035485292009-05-01T13:43:00.000-07:002009-05-01T13:43:00.000-07:00Thanks to you all, to find time for reading and co...Thanks to you all, to find time for reading and commenting on this blog post.<br /><br />Thanks a lot Mr. Yunus for answering part of the paaheli.<br /><br /><br />The purpose of this post was to suggest alternative thoughts. Otherwise some people approach large issue of life with prejudice determinism.स्वप्नदर्शीhttps://www.blogger.com/profile/15273098014066821195noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7419432935264098805.post-79269752827871347882009-04-26T23:21:00.000-07:002009-04-26T23:21:00.000-07:00भाई हम तो इन नामों को देखकर ही चकरा गये हैं. अब इन...भाई हम तो इन नामों को देखकर ही चकरा गये हैं. अब इनका नाम क्या बतायें?<br /><br />रामराम.ताऊ रामपुरियाhttps://www.blogger.com/profile/12308265397988399067noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7419432935264098805.post-65367063609920138522009-04-26T06:47:00.000-07:002009-04-26T06:47:00.000-07:00very erudite!very erudite!Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7419432935264098805.post-17136216014189735102009-04-26T04:55:00.000-07:002009-04-26T04:55:00.000-07:00हाहा, आपने क्या सही पकड़ा है!अब क्या मित्र कहेंगे क...हाहा, आपने क्या सही पकड़ा है!अब क्या मित्र कहेंगे कि इनके लेखन को बहुत ऊँचा रेट नहीं करेंगे?<br />वैसे इस समय तो एक का भी तथाकथित आसली नाम याद नहीं आ रहा।<br />घुघूती बासूतीghughutibasutihttps://www.blogger.com/profile/06098260346298529829noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7419432935264098805.post-66305722074693465842009-04-26T02:48:00.000-07:002009-04-26T02:48:00.000-07:00वास्तव में यह छ्द्मनाम होते हुए भी छ्द्म नाम नही क...वास्तव में यह छ्द्मनाम होते हुए भी छ्द्म नाम नही कहे जा सकते।क्योंकि इन नामों के साथ इन का परिचय वास्तविक है। इन्हें उपनाम की श्रैणी मे रखा जा सकता है।परमजीत सिहँ बालीhttps://www.blogger.com/profile/01811121663402170102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7419432935264098805.post-19596432291217157192009-04-26T00:26:00.000-07:002009-04-26T00:26:00.000-07:00आप ने बहुत सी पहेलियाँ एक साथ पूछ ली हैं। इन में क...आप ने बहुत सी पहेलियाँ एक साथ पूछ ली हैं। इन में कालिदास, घाघ और पंत जी के नाम तो मुझे भी पता नहीं हैं।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7419432935264098805.post-53055695600736641332009-04-25T23:41:00.000-07:002009-04-25T23:41:00.000-07:00मैं हिन्दी और अंगरेजी दोनों भाषाओं से सम्बद्ध रहने...मैं हिन्दी और अंगरेजी दोनों भाषाओं से सम्बद्ध रहने के कारण दोनों भाषाओं के चिट्ठों पर निगाह रखता हूँ | कभी कभी ऐसा लगता है कि हिन्दी ब्लॉगजगत में विचार से अधिक व्यक्ति को महत्त्व है| प्रारंभ में (२००६ के आस पास) ऐसा होना लाजिमी था क्योंकि उस समय हिन्दी चिट्ठे नए नए थे, लेकिन अब भी हम चिट्ठों को उनके लिखने वालों के परिचय के आधार पर ही ज्यादा जानते हैं| इसके अपने फायदे हैं लेकिन देखना होगा कि लांग Neeraj Rohillahttps://www.blogger.com/profile/09102995063546810043noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7419432935264098805.post-4414460255531120952009-04-25T23:33:00.000-07:002009-04-25T23:33:00.000-07:00प्रेमचंद का असली नाम धनपतराय था। बाकियों का पता नह...प्रेमचंद का असली नाम धनपतराय था। बाकियों का पता नहीं।Anil Kumarhttps://www.blogger.com/profile/06680189239008360541noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7419432935264098805.post-70882117265829340612009-04-25T23:27:00.000-07:002009-04-25T23:27:00.000-07:00This comment has been removed by a blog administrator.irfanhttp://cartoonistirfan.blogspot.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7419432935264098805.post-30594229096480612922009-04-25T23:24:00.000-07:002009-04-25T23:24:00.000-07:00घुघूती बसूती जी का लेख पढ़ा.छद्म नमों से लिखने की द...घुघूती बसूती जी का लेख पढ़ा.छद्म नमों से लिखने की दुनिया भर मे पुरानी रवायत है.वह लेखक का अपना रखा हुआ नाम होता है और सभी पाठक जानते है कि यह नाम अमुक लेखक का अपना दिया नाम है.मगर ऐसे लोग कम होते हैं. आज समस्या यह है कि ब्लोगर्स मे वह जमात बहुतायत मे काम कर रह्री है जो 'एनोनिमस नोरिप्लाई' करके अपने असली रूप मे न आकर छिपकर असभ्य <br />भाषा का इस्तेमाल कर रहे हैं.जिसे आप गाली दे रहे हैं, उसने भी तो Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7419432935264098805.post-70189329942801282352009-04-25T23:14:00.000-07:002009-04-25T23:14:00.000-07:00सब के सब उन्मुक्त स्वप्नदर्शी ई-स्वामी टाइप के अना...सब के सब उन्मुक्त स्वप्नदर्शी ई-स्वामी टाइप के अनामदास हिन्दी ब्लॉगर थे :)।<br />सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन - अज्ञेय<br />सूर्यकान्त त्रिपाठी<br />प्रेम चन्द तो धनपत राय थे,<br />बाकी का नही पता!RC Mishrahttp://rcmishra.com/hindinoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7419432935264098805.post-7556232965930792932009-04-25T23:03:00.000-07:002009-04-25T23:03:00.000-07:00भई कालिदास और घाघ के मूल नामों का तो नहीं पता ।
इ...भई कालिदास और घाघ के मूल नामों का तो नहीं पता । <br />इस बारे में आप ही टॉर्च दिखाईये । <br />लेकिन बाक़ी नाम इस तरह हैं <br />तुलसीदास---रामबोला<br />मुंशी प्रेमचंद---धनपत राय<br />सुमित्रानंदन पंत--गुसाईं दत्त <br />निराला--सूर्यकांत त्रिपाठी <br />अज्ञेय--सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायनYunus Khanhttps://www.blogger.com/profile/12193351231431541587noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7419432935264098805.post-27412425027869229912009-04-25T22:54:00.000-07:002009-04-25T22:54:00.000-07:00aap ka naam bhi hna chahiyae thaa 8 number paraap ka naam bhi hna chahiyae thaa 8 number parRachna Singhhttps://www.blogger.com/profile/15393385409836430390noreply@blogger.com