tag:blogger.com,1999:blog-74194329352640988052024-02-26T22:46:15.412-08:00स्वप्नदर्शी"He is an emissary of pity and science and progress, and devil knows
what else."- Heart of Darkness, Joseph Conradस्वप्नदर्शीhttp://www.blogger.com/profile/15273098014066821195noreply@blogger.comBlogger135125tag:blogger.com,1999:blog-7419432935264098805.post-66378902464204573612021-05-15T17:49:00.004-07:002021-05-15T20:53:23.449-07:00मंगलेश डबराल स्मृति: कवि के बस में था कि वह एक आत्मीय संसार रच दे पब्लिक एजेंडा के ऑफ़िस में 2013 में मंगलेश जी के साथ मंगलेश जी की कविताओं से मेरा परिचय मंगलेश जी की कविताओं से मेरा परिचय ‘पहाड़ पर लालटेन’ (राधाकृष्ण प्रकाशन, 1981) के ज़रिये 1988 में हुआ था. नैनीताल की दुर्गालाल साह लायब्रेरी से यह कविता संग्रह लेकर आई थी, पढ़ते हुये अहसास हुआ कि आहिस्ता-आहिस्ता पुरानी अल्बम को देख रही हूँ, जिसमें मेरे ही घर-गाँव, रस्ते, नदी और पहाड़ की स्वप्नदर्शीhttp://www.blogger.com/profile/15273098014066821195noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-7419432935264098805.post-46065716707088839972021-03-26T22:00:00.007-07:002021-03-26T22:00:52.640-07:00 Night by Elie Wieselइलाई वेज़ल की 'नाइट' (Night by Elie Wiesel) में उनके 1944 से 1945 तक आउशवित्ज़ यातना शिविर में रहने की के अनुभव हैं. रोमानिया के ट्रांसलवेनिया में जन्मे इलाई 15 साल के थे जब उन्हें सपरिवार 1944 में यातना शिविर में ले जाया गया, जहाँ उनकी माँ, पिताजी और छोटी बहन की मृत्यु हुई. इलाई और उनकी दो बड़ी बहने बची रहीं. 'नाइट' एक तरह से एन फ़्रैंक की डायरी ऑफ़ ए यंग गर्ल' की मिरर इमेज है. एन फ़्रैंक कीस्वप्नदर्शीhttp://www.blogger.com/profile/15273098014066821195noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7419432935264098805.post-34063577007267309732021-02-02T18:01:00.006-08:002021-02-02T18:07:42.063-08:00अन्न कहाँ से आता हैअक्टूबर 2020 में कृषि के इतिहास और विज्ञान पर यह पॉप्युलर सायंस की किताब रास्ट्रीय पुष्तक न्यास, भारत (National Book Trust, India) से प्रकाशित हुई है. इस किताब को लिखते समय मेरी कोशिश रही है कि एक सामान्य हिंदी पाठक के लिए कृषि से सम्बंधित कुछ मोटी-मोटी तथ्यपरक वैज्ञानिक जानकारी, तथा कृषि की टेढ़ी-मेढ़ी ऐतिहासिक यात्रा को आसान भाषा में, बिना तकनीकी शब्दावली में उलझे, लिख स्वप्नदर्शीhttp://www.blogger.com/profile/15273098014066821195noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7419432935264098805.post-87846712864847345022019-11-02T12:24:00.001-07:002019-11-02T12:34:08.369-07:00सिट्जेज, स्पेन में कुछ दिन
<!--[if gte mso 9]>
Normal
0
false
false
false
EN-US
X-NONE
HI
<![endif]--><!--[if gte mso 9]>
स्वप्नदर्शीhttp://www.blogger.com/profile/15273098014066821195noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-7419432935264098805.post-4378307814361683692018-08-30T17:04:00.001-07:002023-01-02T12:45:24.764-08:00कई चाँद थे सरे आसमां
शम्सुर्ररहमान फारुकी का उपन्यास 'कई चाँद थे सरे आसमां' पढ़कर पिछले 3-4 दिन में ख़त्म किया. एक बार जो उठाई तो फिर छूटी नहीं. बहुत मुद्दत बाद हिंदी-उर्दू की की किसी किताब को पढ़कर मन इतना लाज़बाब हुआ...
यूँ 3 सालों से 750 पन्नों की इस किताब को हसरत से देख रही थी और मुनासिब मौक़ा लग नहीं रहा था. अच्छा होता कि कुछ फ़ारसी आती तो मज़ा कुछ और रहता, फ़िलहाल फ़ारसी से लबालब शेरों-शायरी को स्वप्नदर्शीhttp://www.blogger.com/profile/15273098014066821195noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7419432935264098805.post-62959189830751697182013-06-01T10:23:00.001-07:002019-07-23T08:46:22.981-07:00आम के नाम
गाँव
के बीचों बीच आम का बगीचा था— पुराना, पुराने पेड़ों, पुरानी मिट्टी और पूर्वजों के श्रम से सींचा हुआ, सुगन्धित , क्रिस्पी, खट्टे, मीठे, कितने-कितने स्वाद; लँगड़ा, दशहरी, चौसा, हिमसागर, मालदा, तोतापरी, रसालू, नीलम, फज़ली, सलीम, बम्बईयाँ, रतौल, केसर, रानीपसन्द, सफेदा, सौरभ ...,
गाँव का साँझा बगीचा, जैसे
जोत के बाहर डांडा की जमीन पर पसरा चारागाह, जैसे ढलानों पर घना जंगल, और
स्वप्नदर्शीhttp://www.blogger.com/profile/15273098014066821195noreply@blogger.com5tag:blogger.com,1999:blog-7419432935264098805.post-24757330032116298812012-12-18T22:03:00.001-08:002013-02-27T13:48:40.789-08:00Union Home Ministry, Delhi government: Set up fast-track courts to hear rape/ gangrape cases
दिल्ली में चलती बस में 23 साल की लड़की के साथ बलात्कार के साथ दरिंदगी से उसकी हत्या का जो प्रयास हुआ, वो मुझे बहुत दुःख, गुस्से और हताशा से भर गया है, सुषमा स्वराज की तरह ये नहीं कहूंगी की वो लड़की जियेगी तो जीती जागती लाश बन जायेगी, मेरी आशा है कि वो लड़की जीवित बचे, सकुशल रहे और अभी अपना लम्बा अर्थपूर्ण जीवन जिये. बलात्कार एक एक्सीडेंट ही है, इससे स्वप्नदर्शीhttp://www.blogger.com/profile/15273098014066821195noreply@blogger.com5tag:blogger.com,1999:blog-7419432935264098805.post-76045259086737709762012-12-14T16:37:00.001-08:002013-01-29T09:28:12.750-08:00पारा पारा होता मन—'क्रेटर लेक'
"पातालस्वामी लाओ, जब-तब एक भूमिगत सुरंग के रस्ते लाओ-येना पर्वत (माउंट मेज़मा ) की चोटी पर, दुनिया देखने पहुँचता. एक दिन यहीं से
क्लामथ कबीले के मुखिया की सुन्दरी बेटी लोहा को उसने देखा और मोहित हो गया. लोहा ने बदसूरत लाओ को खरी -खोटी सुनायी, तो उसने तिलमिलाकर क्लामथ कबीले को नष्ट करने की मंशा से आग और पत्थरों की
बारिश स्वप्नदर्शीhttp://www.blogger.com/profile/15273098014066821195noreply@blogger.com3tag:blogger.com,1999:blog-7419432935264098805.post-81121308835490391572012-12-12T08:58:00.001-08:002013-04-05T14:30:38.002-07:00RIP Ravi Shankarस्वप्नदर्शीhttp://www.blogger.com/profile/15273098014066821195noreply@blogger.com3tag:blogger.com,1999:blog-7419432935264098805.post-64536189543945833122012-10-27T23:12:00.000-07:002013-01-06T23:09:11.938-08:00ऊँचे आखिर कितने ऊँचे पेड़
पिछले 3-4 महीनों में लगभग 2500 मील ड्राइव करते, रुकते, टहलते अमरीकी वेस्ट कोस्ट को नज़दीक से देखने के मौके बने.
इस यात्रा की दूसरी क़िस्त ......
पहली क़िस्त
U.S. Route 101
अगला दिन हरियाली, धुंध और कुछ गरमी की महक के बीच बैंडन से U.S. Route 101
पर क्रिसेंट सिटी की तरफ ड्राइव करते बीता, दिनभर एक तरफ प्रशांत महासागर का तट बना रहा, स्वप्नदर्शीhttp://www.blogger.com/profile/15273098014066821195noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-7419432935264098805.post-31860795975213670162012-10-22T11:04:00.001-07:002014-04-05T19:13:12.245-07:00आस मेरे मन की दिशा
पिछले 3-4 महीनों में लगभग 2500 मील ड्राइव करते, रुकते, टहलते अमरीकी वेस्ट कोस्ट को नज़दीक से देखने के मौके बने.
इस यात्रा की पहली क़िस्त ....
आस मेरे मन की दिशा
आठ
महीने की बारिश, धुन्ध, और सर्दी के बाद, अब गरमी के लम्बे, उजास भरे दिन
आयें हैं. हालाँकि जून का महीना है, पर हवा में खुनकी है, पतला स्वेटर
पहनने की दरकार अब तक बनी हुयी हैस्वप्नदर्शीhttp://www.blogger.com/profile/15273098014066821195noreply@blogger.com5tag:blogger.com,1999:blog-7419432935264098805.post-77369317761345951092012-09-16T11:45:00.000-07:002012-09-16T12:01:02.220-07:00होगा तो कैसे होगा जंगल से शहर लौटना
दान्तेवाड़ा उसी जमीन का हिस्सा
जिस पर मिट्टी हुए मेरे पूर्वज
क्यूं मुझे नहीं मालूम कि कौन लोग
पीछे छूटे रहे, सभ्यता के निर्जन अंधेरे में
मेरी पहचानी दुनिया से बहिष्कृत, इतने सालों अकेले में
क्या है, ये शब्द नेटिवस्वप्नदर्शीhttp://www.blogger.com/profile/15273098014066821195noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-7419432935264098805.post-15228912019370609752012-07-20T22:42:00.001-07:002012-08-14T10:12:54.969-07:00विनयर्ड्स & वाइन-मेकरस
"है यह बरसात वह मौसम , कि 'अज़ब क्या है, अगर
मौज-ए-हस्ती को करे फैज़-ए-हवा, मौज-ए-शराब "---मिर्ज़ा ग़ालिब
ग्रेप जेनोमिक्स की मीटिंग के आखिरी दिन दो विनयर्ड्स में जाने का मौका मिला. अभी ऑरेगन में
एक तरह से गरमी शुरू ही हुयी है, और अंगूर की बेले फूलों से लदी हुयी हैं,
इसके मुकाबिले यूरोप के अधिकतर विनयर्ड्स में अंगूर के झुम्पे लदे होंगे,
और जल्द ही उनके स्वप्नदर्शीhttp://www.blogger.com/profile/15273098014066821195noreply@blogger.com4tag:blogger.com,1999:blog-7419432935264098805.post-27192639575480828362012-07-09T16:40:00.000-07:002015-01-25T09:34:43.385-08:00कथा में क्या चाहिए?
कला यथार्थ, और स्मृति को ही समग्र
तरीके से समझने-गुनने उसके अंडर प्रोजेक्शन और ओवर प्रोजेक्शन का टूल
है, जो यथार्थ को जड़ नहीं बने रहने देती, उससे पार पाने का
सपना और संभावनाओं की खोज करती है, और उनका सृजन भी. अकेले व्यक्ति के कुछ हद तक पूर्णता
तक पहुँचने, अनवरत का साध्य भर...
हालाँकि कहानी के सच होने का दावा कोई लेखक नहीं
करता. पर कथाएँ विलक्षणस्वप्नदर्शीhttp://www.blogger.com/profile/15273098014066821195noreply@blogger.com4tag:blogger.com,1999:blog-7419432935264098805.post-39585703017509497372012-06-13T03:41:00.002-07:002017-06-14T08:43:19.587-07:00शोला था जल बुझा हूँ-मेहदी हसन
मेहदी हसन अब नहीं हैं...
बहुत से दिलों में हैं, और अभी न जाने कितने नए दिलों में उनकी जगह रोज़-रोज़ बननी बाक़ी है..
मेहदी हसन की मुलायम मखमली आवाज़ पहली बार नैनीताल के कंसल बुक डिपो में सुनी, आवाज़ के मोह में वहाँ घंटा भर बिताया. १६-१७ साल की उम्र की झेंप में पूछ न सकी कि किसकी आवाज़ है, कहां कैसेट मिलेगी. कुछ तबियत से फिर 88-89 में उनका पहला कैसेट "कहना उसे" हाथ लगा, फिर उन दिनों अक्सर स्वप्नदर्शीhttp://www.blogger.com/profile/15273098014066821195noreply@blogger.com9tag:blogger.com,1999:blog-7419432935264098805.post-2516083060548275732012-05-30T19:01:00.002-07:002015-03-01T10:20:26.890-08:00Emigrant’s Notes/ प्रवासी नोट्स
9. Emigrant’s Notes (translation was done with help of Prof. Tom Montgomery )
The home no longer exists
In any village
Or a town
Or a city
Not within boundaries of any nation
Only some trails of past events are left
And some scattered fragments of paper
The address of home will remain missing forever
Alienation spreads over entire earth
And people constantly in an स्वप्नदर्शीhttp://www.blogger.com/profile/15273098014066821195noreply@blogger.com4tag:blogger.com,1999:blog-7419432935264098805.post-35174323049411581202012-05-21T22:10:00.001-07:002015-04-24T10:30:10.847-07:00Translations of my poems-02
6. तस्सव्वुर
जमीन पर नहीं
हवा में नहीं हूँ
पानी से पुरानी यारी है
जो भी है
उसकी सतह पर चित्रकारी है
रोशनी का है उधार
सूरज, चाँद, तारे साहूकार
रंग का नाता सबसे
जो घेरे हैं मुझे
कुछ उन्ही का प्रतिबिम्ब हूँ
तरंग बस अपनी है
भीतर से उठते बुलबुले है
हलचल अंतरंग है...
***
6. Self-portrait
I am not स्वप्नदर्शीhttp://www.blogger.com/profile/15273098014066821195noreply@blogger.com4tag:blogger.com,1999:blog-7419432935264098805.post-20989938150205712832012-05-15T12:55:00.002-07:002013-04-05T14:29:55.097-07:00English translation of my poems
(These translations were done with help of Prof. Tom Montgomery and I am very thankful to him)
<!--
/* Font Definitions */
@font-face
{font-family:Arial;
panose-1:2 11 6 4 2 2 2 2 2 4;
mso-font-charset:0;
mso-generic-font-family:auto;
mso-font-pitch:variable;
mso-font-signature:-536859905 -1073711037 9 0 511 0;}
@font-face
{font-family:Times;
panose-1:2 0 5 0 0 0 0 0 0 0;
स्वप्नदर्शीhttp://www.blogger.com/profile/15273098014066821195noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-7419432935264098805.post-54907100148548990662012-05-13T18:23:00.001-07:002012-05-13T18:23:01.697-07:00Corporate Attack on Education, Chomskyस्वप्नदर्शीhttp://www.blogger.com/profile/15273098014066821195noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7419432935264098805.post-13031769245880782252012-04-24T19:20:00.001-07:002012-04-26T06:46:28.810-07:00"मैं इसी संसार में हूँ और सपना होता जा रहा है संसार": 'कर्मनाशा' - सिद्धेश्वर सिंह
A view of Ayarpata (courtesy: Pratibha Singh)
सिद्धेश्वर सिंह से जब सन १९८८ में मेरा परिचय हुआ था तब मालूम नहीं था की वो कविता लिखते हैं. तब मैंने नैनीताल में यूनिवर्सिटी में प्रवेश ही लिया था, १६-१७ साल की उम्र, कुछ चकमक निगाहों से झील किनारे की दुर्गालाल साह लायब्रेरी और कॉलेज की लायब्रेरी में किताबों को पलटना शुरू ही किया था. हालाँकि माता-पिता ने और उससे ज्यादा खुद जिद करकेस्वप्नदर्शीhttp://www.blogger.com/profile/15273098014066821195noreply@blogger.com13tag:blogger.com,1999:blog-7419432935264098805.post-69912830315204523682012-04-18T00:36:00.000-07:002012-07-08T14:44:21.669-07:00गिरमिटिया
कि तुम जहाँ हो वहीं रहो
अब, खारे पानी की मछरिया
एक सी बात अब
दोस्तों की चुप्पी
या अजनबी गुफ़्तगू
लौटौगे तो आगे चलेंगी
काले पानी की काली परछईयां
कि अब
ज़ब्त हुयी तुम्हारी ज़मीन
हुये तुम पंगत बाहर
घर से दर-ब-दर
गिरमिटिया
कि तुम जहाँ हो वहीं रहो ...
***
स्वप्नदर्शीhttp://www.blogger.com/profile/15273098014066821195noreply@blogger.com7tag:blogger.com,1999:blog-7419432935264098805.post-44639401662659631282012-04-08T22:03:00.000-07:002012-07-08T11:27:16.800-07:00तुम रामकली, श्यामकली, परुली की बेटी
क्या पता तुम रामकली, श्यामकली
कि परुली की बेटी
तेरह या चौदह की
आयी असम से, झारखंड से
या उत्तराखंड से
एजेंसी के मार्फ़त
बाकायदा करारनामा
अब लखनऊ, दिल्ली,
मुम्बई, कलकत्ता,
चेन्नई और बंगलूर
हर फैलते पसरते शहर के घरों के भीतर
दो सदी पुराना दक्षिण अफ्रीका
हैती, गयाना, मारिशस
फिजी, सिन्तिराम यहीं
बहुमंजिला इमारत के किसी फ्लेट के भीतर
कब उठती हो, कब सोती
क्या खाती, कहाँ सोतीस्वप्नदर्शीhttp://www.blogger.com/profile/15273098014066821195noreply@blogger.com9tag:blogger.com,1999:blog-7419432935264098805.post-13422222078143578982012-02-12T07:32:00.002-08:002013-06-18T07:37:08.129-07:00डा. विद्या सागर नौटियाल: श्रद्धांजलि
(*लेख में अधिकतर तथ्य नौटियाल जी की
आत्मकथा "मोहन गाता जाएगा" और उनसे की गयी मेरी रेकॉर्डेड बातचीत पर
आधारित है, लेख का कुछ भाग "हंस" पत्रिका के मार्च २०१२ के अंक में छपा
है).
खबर मिली आज डा. विद्या सागर नौटियाल नहीं रहे. ७९ वर्ष की आयु में बैंगलोर में उनका देहांत हो गया. डा. विद्या सागर नौटियाल जी का नाम कई सालों अलग अलग सन्दर्भों में सुनती रही. स्वप्नदर्शीhttp://www.blogger.com/profile/15273098014066821195noreply@blogger.com5tag:blogger.com,1999:blog-7419432935264098805.post-27842212938814727262012-01-29T17:26:00.001-08:002012-01-29T17:26:56.475-08:00आयोवा-02इस सर्दी में हिन्दुस्तान छोड़े हुये १५ साल पूरे हो जायेंगे. एम्स, आयोवा में बिताये हुये कुछ पहले महीनों की यादें अचानक फिर से जहन में उठ रही हैं. ये पोस्ट कभी Sep 7, २००९ में लिखी थी. फिर से पोस्ट कर रही हूँ...
आयोवा की पहली सुबह, ठण्ड मे घुली हुयी और धुप-छाँव की आँख-मिचौली के साथ शुरू हुयी. लैब जाने के लिए एक मित्र ने राईड दी और दो चीजे जो रात के अंधेरे मे नही दिखी वों स्वप्नदर्शीhttp://www.blogger.com/profile/15273098014066821195noreply@blogger.com3tag:blogger.com,1999:blog-7419432935264098805.post-34638969568663813822012-01-20T11:44:00.000-08:002012-01-20T16:25:26.310-08:00सायंस और सोसायटीसेन डियागो में प्लांटस एंड एनिमल जेनोम की सालाना मीटींग है, अच्छी किस्मत रही की मीटिंग के दिनों पूरी फुर्सत से मीटिंग अटेंड की, होटल में एक अच्छी बेबी-सिटर मिल गयी, एक दादी की उम्र की महिला, जिसके अपने नाती-पोते हैं. एक स्कूल की रिटायर्ड टीचर, जल्दी ही बच्चों के साथ घुल मिल गयी है. छोटे बच्चों की माँ के लिए १२-१४ घंटे चलने वाली मीटींग में शिरकत करना लगातार ३-५ दिन तक आसन नहीं स्वप्नदर्शीhttp://www.blogger.com/profile/15273098014066821195noreply@blogger.com4