गिर्दा अब हमारे बीच नहीं रहे कहने का साहस मन में नही है. २२ अगस्त को 11.31 AM को गिर्दा अब किसी
दूसरी यात्रा पर निकल चुके है. गिर्दा जो हमेशा से अपने समूचेपन में लोगो से प्यार करते थे, गाते थे, लिखते थे, और सड़क पर उतर जाने में कभी संकोच नही किये, जन पक्षधरता जिनकी अकेली पक्षधरता थी, हमेशा कई कई रूपों में बार बार हमारे बीच बने रहेंगे.
गिर्दा बखूबी फैज़ को कुमायूनी में उल्था कर गाते थे. उसी का एक मुखड़ा उनकी याद में .....
दूसरी यात्रा पर निकल चुके है. गिर्दा जो हमेशा से अपने समूचेपन में लोगो से प्यार करते थे, गाते थे, लिखते थे, और सड़क पर उतर जाने में कभी संकोच नही किये, जन पक्षधरता जिनकी अकेली पक्षधरता थी, हमेशा कई कई रूपों में बार बार हमारे बीच बने रहेंगे.
गिर्दा बखूबी फैज़ को कुमायूनी में उल्था कर गाते थे. उसी का एक मुखड़ा उनकी याद में .....