पिचले साल सितम्बर मे खेल-खेल मे ये ब्लॉग बनाया था, सिर्फ़ इस उत्साह से की ओनलाईन हिन्दी टाईप की जा सकती है, और मोजिला पर एक पुराने मित्र का ब्लॉग ठीक से पढा नही जा रहा था, उसी समस्या को सुलझाने के लिए, ख़ुद ब्लॉग बनाया। कुछ दिन तक ख़ास समझ नही आया की क्या किया जाय? किसके लिए लिखा जाय? कितना समय इस पर खर्च किया जाय? और इससे हासिल किसी को भी क्या होगा?
इन सवालो के ज़बाब अभी भी ठीक-ठीक नही मिले है, पर बरसों पहले छूट गया डायरी लेखन और ख़ुद से संवाद कुछ हद तक कायम हुया है। ब्लॉग जगत से परिचय हुया और कुछ लोगो का लिखा पढ़ने का चस्का भी लगा। कुछ पुराने जाने-पहचाने नाम कई सालो बाद ब्लॉग जगत मे देखने को फ़िर से मिले। सारी प्रविष्टिया तो नही पढ़ सकती पर फ़िर भी जब भी मौका मिलता है, "एक हिन्दुस्तानी की डायरी, टूटी -बिखरी, कबाड़खाना, ठुमरी, उड़न -तस्तरी , घुघूती-बासूती, पहलू, चोखेर बाली, नारी, शब्दों का सफर, और सुनील दीपक जी के ब्लोग्स नियमित पढ़ती हूँ।
बाकी, "गाहे-बगाहे" के विनीत मुझे अपने विधार्थी जीवन मे वापस ले जाते है, मिनाक्षी जी की कविताएं, कई अनुभूतियों को जगाती है, रियाज़ उल- हक , दीलीप मंडल जी,अफलातून जी, के ब्लोग्स सोचने की सामग्री भी देते है। तरुण और काकेश वापस घर की याद दिला देते है। और भी कई ब्लोग्स को बीच-बीच मे देखने -पढ़ने का अवसर मिला, सब का नाम लेना यहाँ असंभव है। यही कहा जा सकता है, की ब्लॉग जगत एक समग्र आईना है, भारतीय समाज का, कोई पहलू और दृष्टिकोण इसमे छूटा नही लगता, एक धरातल पर कई तरह की जद्दोजहद। शायद इसी जद्दोजहद से आपस मे सभी को कुछ सीखने को मिलेगा। "The argumentive Indians are very much alive here".
तीन लोग जिन्हें पढ़ने की इच्छा रहती है, आजकल गायब है, काकेश, चंद्रभूषण और मनीषा पाण्डेय, अगर कही ये लेख पढ़े तो आप लोग समय मिले तो ब्लॉग पर ज़रूर लिखे, ऐसी मेरी विनती है। आप तीनो लोगो को पढ़ना अच्छा लगता है। असहमति कई बिन्दुओ पर हो सकती , फिर भी आप के लिखे का इंतज़ार रहता है।
इस महीने दस साल पुराना आशियाना छोड़ा है, और नई नौकरी, नया घर, नया शहर, अपनाया है, सो समय कभी कभार ही लिखने का मिलेगा, पर पढ़ने की गुंजाईश किसी तरह निकालती रहूंगी। ले दे कर यही एक जीवंत संवाद मेरा "Vibrant India " से बचा है। और शायद कुछ हद तक ब्लॉग्गिंग के मायने , और यह्ना समय नष्ट करने का मुआवजा भी यही है।
मेरे ब्लॉग पर आने वालो का धन्यवाद.
इन सवालो के ज़बाब अभी भी ठीक-ठीक नही मिले है, पर बरसों पहले छूट गया डायरी लेखन और ख़ुद से संवाद कुछ हद तक कायम हुया है। ब्लॉग जगत से परिचय हुया और कुछ लोगो का लिखा पढ़ने का चस्का भी लगा। कुछ पुराने जाने-पहचाने नाम कई सालो बाद ब्लॉग जगत मे देखने को फ़िर से मिले। सारी प्रविष्टिया तो नही पढ़ सकती पर फ़िर भी जब भी मौका मिलता है, "एक हिन्दुस्तानी की डायरी, टूटी -बिखरी, कबाड़खाना, ठुमरी, उड़न -तस्तरी , घुघूती-बासूती, पहलू, चोखेर बाली, नारी, शब्दों का सफर, और सुनील दीपक जी के ब्लोग्स नियमित पढ़ती हूँ।
बाकी, "गाहे-बगाहे" के विनीत मुझे अपने विधार्थी जीवन मे वापस ले जाते है, मिनाक्षी जी की कविताएं, कई अनुभूतियों को जगाती है, रियाज़ उल- हक , दीलीप मंडल जी,अफलातून जी, के ब्लोग्स सोचने की सामग्री भी देते है। तरुण और काकेश वापस घर की याद दिला देते है। और भी कई ब्लोग्स को बीच-बीच मे देखने -पढ़ने का अवसर मिला, सब का नाम लेना यहाँ असंभव है। यही कहा जा सकता है, की ब्लॉग जगत एक समग्र आईना है, भारतीय समाज का, कोई पहलू और दृष्टिकोण इसमे छूटा नही लगता, एक धरातल पर कई तरह की जद्दोजहद। शायद इसी जद्दोजहद से आपस मे सभी को कुछ सीखने को मिलेगा। "The argumentive Indians are very much alive here".
तीन लोग जिन्हें पढ़ने की इच्छा रहती है, आजकल गायब है, काकेश, चंद्रभूषण और मनीषा पाण्डेय, अगर कही ये लेख पढ़े तो आप लोग समय मिले तो ब्लॉग पर ज़रूर लिखे, ऐसी मेरी विनती है। आप तीनो लोगो को पढ़ना अच्छा लगता है। असहमति कई बिन्दुओ पर हो सकती , फिर भी आप के लिखे का इंतज़ार रहता है।
इस महीने दस साल पुराना आशियाना छोड़ा है, और नई नौकरी, नया घर, नया शहर, अपनाया है, सो समय कभी कभार ही लिखने का मिलेगा, पर पढ़ने की गुंजाईश किसी तरह निकालती रहूंगी। ले दे कर यही एक जीवंत संवाद मेरा "Vibrant India " से बचा है। और शायद कुछ हद तक ब्लॉग्गिंग के मायने , और यह्ना समय नष्ट करने का मुआवजा भी यही है।
मेरे ब्लॉग पर आने वालो का धन्यवाद.
वर्षगाँठ की बधाई.
ReplyDelete" congratulations, all the best"
ReplyDeleteRegards
बहुत बहुत बधाई , ब्लागिंग के एक साल पूरे करने की।
ReplyDeleteबधाई!
ReplyDeleteस्वप्नदर्शी को साल-गिरह पर हार्दिक शुभ कामना। इस मौके पर खुद के लेखन के बजाए ब्लॉगिंग परिदृश्य को प्रस्तुत किया , यह बेहतर लगा। छात्रावासीय जीवन से लगायत हर मौजू सन्दर्भ पर आपके आलेख , टिप्पणियाँ जरूरी थीं। इसलिए, चिट्ठेकारी के लिए मौका निकालते रहिए ।
ReplyDeleteवर्षगांठ मुबारक हो.
ReplyDeleteनये ठिकाने के लिये ढेरों शुभकामनायें.आपने कहा है तो जल्दी ही लिखना शुरु करते हैं.
ब्लॉगिंग की पहली सालगिरह मुबारक हो।
ReplyDeleteCongratulations on completing 1 Full year of Blogging !!
ReplyDeleteसबसे पहले तो 'स्वप्नदर्शी' के एक साल पूरे होने पर बधाई स्वीकर करें.ब्लाग की दुनिया में आपने स्तरीय काम किया है -कुछ अलग सा.मैं यह बात केवल रस्मी तौर पर नहीं बल्कि पूरी गंभीरता से कह रहा हूं. बधाई!
ReplyDeleteबहुत बधाई एवं शुभकामनाऐं.
ReplyDeleteमजाक मजाक में साल बीत गया। बधाई शुभकामनायें।
ReplyDeleteआपने मज़ाक में ब्लॉग शुरु किया लेकिन हम गम्भीरता से आपके ब्लॉग को पढते हैं..आपकी पोस्ट का इंतज़ार रहता है..चाहे विज्ञान से ही जुड़ी हुई हो :) सालगिरह की बहुत बहुत मुबारक
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