...................'क्रेटर लेक' बनने की 'क्लामथ कबीले' की दन्तकथा
नेटिव अमेरिकन 'क्लामथ कबीले' के मिथक में बसे पुरखे मालूम नहीं कि 'विज़न क्वेस्ट' के दरमियाँ पृथ्वी, आकाश, पाताल की आत्माओं से बातचीत करते रहे कि नहीं, सचमुच कोई 'लोहा' थी कि नहीं, कि कोई चोट खाया दैव 'लाओ' ही, जिनकी वजह से माउंट मेज़मा ढह गया. लेकिन ज्वालामुखी के मलबे के नीचे मिले अर्टीफेक्ट्स गवाही देतें हैं कि सचमुच क्लामथ कबीले के पुरखों ने 7700 वर्ष पहले ज्वालामुखी विस्फोटों, और 12,000 फीट ऊँचे माउंट मेज़मा को तहस-नहस होते देखा होगा. ये भी सच है कि माउंट मेज़मा पर ज्वालामुखी फटने के बाद बने विशालकाय गड्ढ़े के भीतर सदियों की बारिश और ग्लेशियल जल के इक्ठ्ठा होने से क्रेटर लेक बनी है. ये अमेरिका की सबसे गहरी (1943 फुट) और दुनिया की तीसरी सबसे गहरी झील है. शायद सबसे पारदर्शी झील भी, जिसके भीतर बहुत दूर तक झाँका जा सकता है. इसका पानी ठंडा और बहुत मीठा है, गहरा नीला रंग यकीन से परे, जैसे कोई एनिमेटेड यथार्थ ...
झीलें, नदियाँ और पहाड़, मेरे मन का अन्तरंग हिस्सा हैं. नदियों की उत्पत्ति, उनके भूमिगत हो जाने, सूख जाने, पहाड़ों के बनने-बिगड़ने और ढह जाने के मिथकों ने मेरे अवचेतन की जमीन बुनी है. घर की याद में झील, नदी और पहाड़ की याद बहुत इंटेंसिटी के साथ रहती हैं. चालीस वर्ष के बाद अब आगे नौजवानी के समय की तरह खुला पसरा मैदान नहीं है. कहीं से कहीं पहुँच जाने की वैसी बैचैनी और भागने की वैसी जान भी नहीं है. अब आगे जाना पीछे को अपने साथ सहेज कर ले जाना है, नैनी झील जैसा प्रेम मुझे इथाका की 'बीबी लेक' और 'कायुगा लेक' से भी है. मेरे घर के बगल से बहती विलामत नदी भी भागीरथी की कोई बिछड़ी बेटी ही लगती है, वैसा ही मोह उसके लिए भी मेरे भीतर जागता है. हरसी हैदर यंग जिस तरह 200 साल पहले, नैथाना गाँव और उत्तराखंड के गाँव-गाँव, नदी, पहाड़ों के बीच अपने ही दिल की धड़कन सुन विस्मित होता होगा, उसी तरह बीहड़ और रूरल नार्थ अमेरिकी लैंडस्केप के साथ मेरा अपनापा बनता है, देश और काल की सीमा आड़े नहीं आती, फट से इन नदियों, पहाड़ों, दरख्तों से मोह हो जाता है...
खुशकिस्मती से ऑरेगन में भी बहुत ढ़ेर सारी, हर मील दो मील पर झीलें और नदियाँ है, जिन्हें देखकर मन खुश होता है. सितम्बर 2012 में एक मित्र परिवार के साथ, पांच घंटे की ड्राइव में हरियाली के बीच 10-12 झीलें, दो बड़े बाँध और ऑरेगन के 3-4 छोटे कस्बों के बीच से गुजरने के बाद हम 'क्रेटर लेक नेशनल पार्क' पहुंचे. क्रेटर लेक से मीलों तक फैली लाल जमीन, लावा पत्थर और ज्वालामुखी की राख के निशाँ अब तक हैं, उसी के ऊपर उग आये कुछ सेजब्रश की झाड़ियाँ रास्ते में दिखती हैं, झील को चारों तरफ से घेरे घने ऊँचे दरख़्त भी दीखते हैं. जीवन की तरह कोई भी विनाश, कैसी भी प्रलय शाश्वत नही ...
सड़क से झील को देखना, याने नीले रंग के पारे से भरे किसी कटोरे की परिधि पर खड़ा होना है. एक संकरी पगडंडी सड़क से तकरीबन 760 फुट नीचे झील की सतह तक पहुंचती है. सांप की तरह बल खाती पगडंडी से 10 कि.मी. लम्बी और 8 कि.मी. चौड़ी, नीली झील कई एंगल से दिखती, नए भ्रम सिरजती है. 'क्रेटर लेक के भीतर पानी का कोई दूसरा स्रोत नहीं है, और न ही इस झील से बाहर किसी नदी-नहर के जरिये पानी की निकासी होती है, गरमी में जो पानी वाष्प बनकर उड़ जाता है, उसकी भरपायी बारिश और बर्फ से हो जाती है. इस चक्र के चलते ऐसा अनुमान है कि लेक का सारा पानी हर 250 वर्षो में रिप्लेस हो जाता है. इस तरह किसी भी बाहरी प्रदूषण से मुक्त दुनिया की सबसे साफ़ और शुद्ध पानी की ये झील है. इस पानी के बारे में कई किवदंतियां है, जैसे बद्रीनाथ के कुंड के जल के बारे में, गंगाजल के बारे में. किवदंतियों से अलग एक कम्पनी इसके पानी को स्टेमसेल्स की रिसर्च में लगी कुछ लेब्स में बेचती है. त्वचा पर पानी की छुअन, इस मीठे पानी का स्वाद अपनी याद में संजोती हूँ, एक बोतल में पानी भी भर लायी, इसी तरह से शायद लोग गंगा का पानी लाते रहे होंगे ...
झील के तल में अब तक एक सोया हुआ ज्वालामुखी है, बीच-बीच में ज्वालामुखी के छोटे विस्फोट झील के भीतर हुए हैं, दो छोटे टापू 'रेड कोन' और 'विज़र्ड आईलेंड' बने है. नेटिव अमेरिकन क्लामथ ट्राईब के लोग अब भी एक सालाना उत्सव के मौके पर पूज्य भाव से इस झील तक आते ही हैं. कौन जानता है कि उनकी कथा का लाओ शायद करवट बदलता हो, या फिर दुनिया देखने की उसकी हसरत ने ही शायद इन टापुओं को जन्म दिया हो ......
बहुत प्यारा लेख।
ReplyDeleteअद्भुत ! जलन होती है आपसे
ReplyDeleteअति सुन्दर विवरण,
ReplyDeleteएक बार फिर अवश्य जाइयेगा।
क्या पारा (Hg) नीला भी दिखता है?