किसी शहर को जानने के लिए हफ्ता भर काफी नहीं होता कुछ महीने, कुछ साल वहां रहने की ज़रुरत बनती है, कि शहर आत्मा के भीतर किसी हिस्से में धडकता रहे, थोड़ी अपनी बैचैनी और ख़ुशी हम शहर के किसी हिस्से में छोड़ आयें. फिर भी किसी जगह होता है, बहुत थोड़ी देर को रहना, जानने की फुर्सत नहीं बनती, सिर्फ वहां होना हमारी आत्मा को कुछ शांत करता है. कुछ देर को दिमाग खाली हो जाता है, हर तरह के बोझ से मुक्त , उन्मुक्त, तसल्लीबख्श. डाउनटाउन सेन डियागो से करीब पांच मील की दूरी पर बसा कोरोनेडो आईलैंड ऎसी ही जगह है. साफ़सुथरा, और खासकर जनवरी के इस महीने में बहुत कम भीड़ भरा, समुद्र तट मीलों तक फैला हुआ, बहुत महीन-मुलायम रेत, बरबस दौड़ाने का मन करता है, दूर तक देर तक. अब तक देखे सभी समुद्रतटों में सबसे खूबसूरत...
जगह-जगह पर बड़ी चट्टानें इकठ्ठा है और उन्ही के बीच एक लड़की किसी किताब में डूबी है. बीच समंदर में दो घंटे से कोई आदमी एक ही जगह खडा-खडा क्लैम्स इकठ्ठा कर रहा है. मेरे दो बच्चों समेत चार पांच दुसरे बच्चें हैं, रेत और पानी के बीच दौड़ते-भागते-भीगते, पंख फैलाये कई सीगल गीली रेत में अपनी परछाइयों के साथ चलते, और आकाश में रह-रह कर मंडराता पुलिस का हेलिकोप्टर. रवि ने रेत पर अपना नाम लिखा है, "R" मिरर इमेज में, और पैर रेत में धंसाये समंदर से खेल करता है, तट पर लौटती लहरों के आगे भागता खुश-खुश. कुछ देर में एक सीपी लेकर आया है, जिसके भीतर जीवित मोलस्क है, सीपी को हाथ में पकड़कर इल्म होता है कि कोई हलचल है इसके भीतर, कोई नन्हा सा जीव सांस ले रहा है. जैसे ही इस जीव का ज़रा सा हिस्सा बाहर आता है, इसकी हरकत से सीपी के दो बंद कपाट बहुत हल्के से बस ज़रा से खुलते है, अच्चके में सीपी रवि के हाथ से गिरती है, फिर बंद हो जाती है, कुछ देर इसे लिए लिए घूमने के बाद समंदर की सौगात उसी को वापस. समंदर से झोला भर सीपीयाँ इकठ्ठा कर वो आदमी, इक्कीसवीं सदी का हंटर-गैदरर, अमेरिका के सबसे अभिजात्य इलाकों में शामिल इस एक इलाके से वापस घर लौट रहा है, उसके झोले में कितनी बड़ी-बड़ी सीपीयाँ, मन में ख़ुशी कितनी, क्या मालूम?
जगह-जगह पर बड़ी चट्टानें इकठ्ठा है और उन्ही के बीच एक लड़की किसी किताब में डूबी है. बीच समंदर में दो घंटे से कोई आदमी एक ही जगह खडा-खडा क्लैम्स इकठ्ठा कर रहा है. मेरे दो बच्चों समेत चार पांच दुसरे बच्चें हैं, रेत और पानी के बीच दौड़ते-भागते-भीगते, पंख फैलाये कई सीगल गीली रेत में अपनी परछाइयों के साथ चलते, और आकाश में रह-रह कर मंडराता पुलिस का हेलिकोप्टर. रवि ने रेत पर अपना नाम लिखा है, "R" मिरर इमेज में, और पैर रेत में धंसाये समंदर से खेल करता है, तट पर लौटती लहरों के आगे भागता खुश-खुश. कुछ देर में एक सीपी लेकर आया है, जिसके भीतर जीवित मोलस्क है, सीपी को हाथ में पकड़कर इल्म होता है कि कोई हलचल है इसके भीतर, कोई नन्हा सा जीव सांस ले रहा है. जैसे ही इस जीव का ज़रा सा हिस्सा बाहर आता है, इसकी हरकत से सीपी के दो बंद कपाट बहुत हल्के से बस ज़रा से खुलते है, अच्चके में सीपी रवि के हाथ से गिरती है, फिर बंद हो जाती है, कुछ देर इसे लिए लिए घूमने के बाद समंदर की सौगात उसी को वापस. समंदर से झोला भर सीपीयाँ इकठ्ठा कर वो आदमी, इक्कीसवीं सदी का हंटर-गैदरर, अमेरिका के सबसे अभिजात्य इलाकों में शामिल इस एक इलाके से वापस घर लौट रहा है, उसके झोले में कितनी बड़ी-बड़ी सीपीयाँ, मन में ख़ुशी कितनी, क्या मालूम?
ऐसी जगहों को छोड़ते हुए भी खुशी के साथ उदासी मिली होती होगी और ऐसी पोस्ट को छोड़ते हुए भी ऐसा ही होता है। मन सबसे ज्यादा उत्सुक उन सांसों को लेकर हुआ जो उस सीप में चल रही थीं। समंदर की सौगात समंदर को वापस मिल गई तो बहुत राहत और खुशी मिली।
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