क्या पता तुम रामकली, श्यामकली
कि परुली की बेटी
तेरह या चौदह की
आयी असम से, झारखंड से
या उत्तराखंड से
एजेंसी के मार्फ़त
बाकायदा करारनामा
अब लखनऊ, दिल्ली,
मुम्बई, कलकत्ता,
चेन्नई और बंगलूर
हर फैलते पसरते शहर के घरों के भीतर
दो सदी पुराना दक्षिण अफ्रीका
हैती, गयाना, मारिशस
फिजी, सिन्तिराम यहीं
बहुमंजिला इमारत के किसी फ्लेट के भीतर
कब उठती हो, कब सोती
क्या खाती, कहाँ सोती
कहाँ कपडे पसारती
कितने ओवरसियर घरभर
कभी आती है नींद सी नींद
सचमुच कभी नींद आती
दिखते होंगे
हमउम्र बच्चे लिए सितार, गिटार
कम्पूटर, आइपेड पर टिपियाते
या आशान्वित कम्पटीशन की तैयारी में
या दिखता
जूठी प्लेट में छूटा बर्गर-पित्ज़ा
सजधज के सामान
विक्टोरिया सीक्रेट के अंगवस्त्र
लगातार किटपिट चलती अजानी ज़बान के बीच
कहाँ होती हो बेटी
किसी मंगल गृह पर
मलावी, त्रिनिदाद, गयाना में
तुम किसी रामकली, श्यामकली, परुली की बेटीकिस जहाज़ पर सवार
इस सदी की जहाजी बेटी*
***
*जहाजी भाईयों की नक़ल पर
कमेंट कर पाना मुमकिन नहीं है बस यही सब देख-सोचकर उदास होता रहता हूं।
ReplyDeleteबहुत बढिया रचना है बधाई।
ReplyDeleteबहुत संवेदनशील .....
ReplyDeleteऔर काम कराने वाले
तुमको कमरे में
बंद कर चले जाते हैं
छुट्टियाँ मनाने ...
खाने के हर डिब्बे पर
निशान लगा कर कि
इस निशान से नीचे
नहीं होनी चाहिए
खाद्य सामग्री ...
.तुम बंद रहती हो
4-5 दिन तक
भूख साताती है तो
किसी तरह
बालकनी तक पहुँच
रोती हो और
तब निकाली जाती हो ....
उफ़्फ़ कितना भयावह है यह सब
( दिल्ली के रहने वाले डाक्टर दम्मपत्ति द्वारा किया गया कृत्य )
सच ..सच ..सच..
ReplyDeleteआपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल बृहस्पतिवार 12 -04-2012 को यहाँ भी है
ReplyDelete.... आज की नयी पुरानी हलचल में .....चिमनी पर टंगा चाँद .
ग़रीबी से भी बड़ा पाप है गरीब की बेटी होना, जिसकी विडंबनाओं का कहीं पार नहीं !
ReplyDeleteमेरी नज़र में न बेटी होना पाप है, न गरीब होना, और गरीब की बेटी होना भी पाप नहीं है. मित्रों तक मेरी उद्विग्नता न पहुंची हो तो यही कि कोशिश करती रहूंगी ...
ReplyDeleteअभी हाल में घटी घटना को इस रचना में ढाल कर पेश करने के लिए आभार
ReplyDeleteबहुत गहन अभिव्यक्ति....
ReplyDeleteनिःशब्द हूँ................
सादर
अनु