पिछले 3-4 महीनों में लगभग 2500 मील ड्राइव करते, रुकते, टहलते अमरीकी वेस्ट कोस्ट को नज़दीक से देखने के मौके बने.
इस यात्रा की दूसरी क़िस्त ......
पहली क़िस्त
U.S. Route 101
अगला दिन हरियाली, धुंध और कुछ गरमी की महक के बीच बैंडन से U.S. Route 101 पर क्रिसेंट सिटी की तरफ ड्राइव करते बीता, दिनभर एक तरफ प्रशांत महासागर का तट बना रहा, दूसरी तरफ डगलस फर, चिनार, चीड़ और रेडवुड के घने जंगलों से ढकी छोटी पहाड़ियों-टीलों का अनंत विस्तार. पहले दो घंटे तक हर दृश्य को कैमरे में कैद करने का मोह बना रहा, फिर ये भी समझ आता कि प्रकृति का विहंगम, विराट रूप किसी भी तरह के कैमरे से कैद नहीं हो सकेगा, इस सबके बीच होने का जो सुख है, वो लम्बे समय तक स्मृति में छाया की तरह रहेगा, शायद कभी सपने में इस सुख की आवृति हो. बचपन के हिमालय में बीते कुछ वर्ष जब-तब सपनों का दरवाजा खटखटातें हैं, शायद प्रशांत महासागर की याद और इन घने जंगलों की याद भी किसी दिन हिमालय की याद के साथ मिल कोई भरम मेरे लिए खड़ा करती फिरे.
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कैलिफोर्निया राज्य में संरक्षित "रेडवुड नेशनल फारेस्ट " के भीतर दुनियाभर में रेडवुड (शिकोया), के सबसे बड़े जंगल हैं और दुनियाभर में सबसे ऊँचें पेड़ भी हैं. सड़क के किनारे ट्रेल में जाने के लिए जिस पेड़ के नीचे अपनी कार खड़ी की है, उसके तने के सामने हमारी कार दूर से एक खिलौना नज़र आती है, हम शायद चींटी! पता नहीं क्या होता है पेड़ होना? शायद देना ही इस विलक्षण जीव का स्वभाव है, फल, फूल, आश्रय, भोजन, सुरक्षा, ताप और छाया. हवा , पानी , और इस पृथ्वी पर समस्त दूसरे जीवों के जीवन का आधार हैं पेड़....
जंगल के बीच गुजरते हुए जितनी उपर तक देखों दरख़्त ही दरख़्त और हरी-भूरी झिल्ली से झांकता आकाश, छन-छनकर आती सुनहली धूप. नीचे मॉस, फर्न, हरी घास और सूखे गिरे पत्तों से ढकी हरियल जमीन, ठंडी हवा में घुली ताजगी और पेड़ों की खुशबू. मिट्टी सिर्फ रास्ते में दिखायी देती हैं, नम मिट्टी में यदा-कदा कुछ पैरों के छूटे निशान, कभी घंटे भर चलते हुए भी जंगल के बीच कोई नहीं दिखता, कभी मिलते कुछ अजनबी लोग जो बिना हिचक, अपनी तस्वीर खींचनें का आग्रह करते हैं, उनका कैमरा लेकर मैं कुछ क्लिक-क्लिक करती हूँ, फिर बाय-बाय, कभी किसी की तरफ अपना कैमरा भी बढ़ा देती हूँ, रास्ते पर अक्सर इतना ही संवाद. बहुत कम लेकिन ये भी हुआ कि 5-10 मिनट कुछ दूर तक बतियाते, जंगल के बीच अजनबी के साथ चलते रहे. मेरा रवि भागकर एक दुसरे रास्ते पर पहुँच गया है, और उसके पीछे-पीछे उसके पंकज. रोहन के साथ इन दरख्तों के बीच टहलते, अपने बचपन की कुछ याद साझा करते, बतियाते घंटा भर बीत गया फिर एक बड़े पेड़ की कोटर के भीतर मॉडलिंग करता, नाचता रवि मिला. घने जंगल के बीच ऐसे कई पेड़ हैं, जो इतने पुराने और बड़े हैं की उनके तने का निचला हिस्सा पूरी तरह खोखला हो गया है, और जगह-जगह से टूट गया हैं, उनके भीतर 8-10 लोग खड़े हो सकते हैं, हम चारों लोग भी इन प्राकृतिक घरों में खड़े होने का आनंद लिए कुछ देर को आदिमानव की अवस्था में को याद करते हैं, आखिरी तामाम जानवर, पशुपक्षी, आदिमानव और उसके पूर्वज सब लाखों सालों तक इन्हीं पेड़ों की शरण में रहे हैं,
"सब्ज़:-ओ-गुल कहाँ से आये हैं ,
अब्र क्या चीज़ है, हवा क्या है "....
सहज सवाल मन में उठता है ऊँचे आखिर कितने ऊँचे पेड़ .....
यूँ तो रेडवुड ऑरेगन और वाशिंगटन राज्य में भी हैं, परंतु इन राज्यों में बहुत ज्यादा जंगल-कटान के बाद, फिर नए सिरे से मैनेज्ड फोरेस्ट्री की नीती के तहत अपेक्षाकृत जल्दी बढ़ने वाले चीड़, डगलस फर, चिनार, पोपलर आदि को उगाया गया हैं, रेडवुड के छोटे झुरमुट और जगह-जगह उगे एकाधि पेड़ ही यहाँ नज़र आते हैं. अकेले उगे रेडवुड या किसी भी दूसरी जाति के पेड़ अपनी पूरी उंचाई प्राप्त करने से पहले ही टूट जाते हैं, भरपूर ऊँचाई तक पहुँचने और बचे रहने के लिए पेड़ों का चारों ओर से बड़े पेड़ों से घिरे रहना ज़रूरी हैं. यहाँ दुनिया के सबसे ऊँचे पेड़ों का बचा रहना भी इसीलिए संभव हुआ है क्यूंकि सैकड़ों मील के विस्तार में फैले जंगल बचे रह गए और समय रहते ही इन्हें संरक्षित करने की पहल हो सकी.......
रेडवुड के वृक्ष मुझे भी हमेशा से अचंभित करते रहे हैं.
ReplyDeleteपेड़ चार-पांच हजार साल तक जी लेते हैं। अद्भुत।
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