दिल्ली में चलती बस में 23 साल की लड़की के साथ बलात्कार के साथ दरिंदगी से उसकी हत्या का जो प्रयास हुआ, वो मुझे बहुत दुःख, गुस्से और हताशा से भर गया है, सुषमा स्वराज की तरह ये नहीं कहूंगी की वो लड़की जियेगी तो जीती जागती लाश बन जायेगी, मेरी आशा है कि वो लड़की जीवित बचे, सकुशल रहे और अभी अपना लम्बा अर्थपूर्ण जीवन जिये. बलात्कार एक एक्सीडेंट ही है, इससे उबरने की शक्ति वो लड़की जुटा सके...
सिर्फ दिल्ली ही नहीं पूरे देश में हर जगह बच्चों और औरतों पर हमले बढ़ रहे हैं, गोपाल कांडा की वजह से एक इसी उम्र की लड़की की आत्महत्या का मामला हो, या सोनी सोरी की हिरासत में हालत, या बारह साल से धरने पर बैठी इरोम शर्मीला का मामला, ये सब एक ही कहानी के हिस्से हैं, जगह जगह से फटे कोलाज के टुकड़े हैं . एक मित्र से बातचीत हुयी कि ठीक दिल्ली के आस-पास के राज्य हरियाणा, राजस्थान आदि में इतनी बड़ी संख्या में मादा भ्रूण हत्याएं (अमर्त्य सेन इसे नेतेलिटी कहते हैं, ख़ास हिन्दुस्तानी मामला) हुयी हैं, कहीं लड़कियां बची ही नहीं है . दिल्ली में बलात्कार, से लेकर छेड़छाड़ की घटनाओं में इजाफा भी भारी संख्या में हुयी 'नेतेलिटी' का इफेक्ट है, जो भी है, स्त्री के लिए जीवित रहना, सम्मान के साथ रहना लगातार असंभव हुआ जाता है ..
हम सब मिलकर किसी तरह इस तरह का माहौल बना सके इस तरह की घटना फिर न हो, या अपवाद भर रह जाय— चाहे जिस भी तरह से, कुछ दूरगामी प्रयोग, कुछ जल्दबाजी की सावधानियाँ, कानून व्यवस्था को चुस्त-दुरुस्त और जबाबदेह बनाकर, अपनी सरकारों और राजनितिक पार्टियों पर जनमत का दबाव बनकर, जैसे भी हो....
बलात्कार और योन हिंसा के मामले में अगर जल्द कड़ी सजा नहीं होती तो , एक के बाद एक ऎसी घटनाएं बढ़ती हैं, देश की अमूमन सभी लड़कियों, उनके अभिभावकों का आत्म विश्वास कम होता है, ले देकर इतने संघर्ष के बाद आज जो जरा से शिक्षा और रोजगार के मौके लड़कियों के हाथ लगे हैं, वो भी छीन जायेंगे। किसी की सरकारी नौकरी का विवाद हो या जायजाद का झंझट या फिर कुछ चोरी आदि, ये सब किसी एक परिवार को ही प्रभावित करते हैं, ये अपेक्षाकृत इन्तजार कर सकते हैं, खासकर ऎसी हालत में जब अदालतों की संख्या कम हो .. अच्छा हो की हर तरह के केस में जल्दी न्याय मिले, लेकिन वैसा संभव न हो, उसमें अगले बीस या 50 साल लग जाए, तब कुछ मामलों को प्रायरिटी देनी पड़ेगी ...
फिलहाल ये पिटीशन का लिंक है , इस पर हस्ताक्षर हम कर ही सकते हैं ...
http://www.change.org/petitions/union-home-ministry-delhi-government-set-up-fast-track-courts-to-hear-rape-gangrape-cases?utm_campaign=share_button_action_box&utm_medium=facebook&utm_source=share_petition&utm_term=36841248
सिर्फ दिल्ली ही नहीं पूरे देश में हर जगह बच्चों और औरतों पर हमले बढ़ रहे हैं, गोपाल कांडा की वजह से एक इसी उम्र की लड़की की आत्महत्या का मामला हो, या सोनी सोरी की हिरासत में हालत, या बारह साल से धरने पर बैठी इरोम शर्मीला का मामला, ये सब एक ही कहानी के हिस्से हैं, जगह जगह से फटे कोलाज के टुकड़े हैं . एक मित्र से बातचीत हुयी कि ठीक दिल्ली के आस-पास के राज्य हरियाणा, राजस्थान आदि में इतनी बड़ी संख्या में मादा भ्रूण हत्याएं (अमर्त्य सेन इसे नेतेलिटी कहते हैं, ख़ास हिन्दुस्तानी मामला) हुयी हैं, कहीं लड़कियां बची ही नहीं है . दिल्ली में बलात्कार, से लेकर छेड़छाड़ की घटनाओं में इजाफा भी भारी संख्या में हुयी 'नेतेलिटी' का इफेक्ट है, जो भी है, स्त्री के लिए जीवित रहना, सम्मान के साथ रहना लगातार असंभव हुआ जाता है ..
हम सब मिलकर किसी तरह इस तरह का माहौल बना सके इस तरह की घटना फिर न हो, या अपवाद भर रह जाय— चाहे जिस भी तरह से, कुछ दूरगामी प्रयोग, कुछ जल्दबाजी की सावधानियाँ, कानून व्यवस्था को चुस्त-दुरुस्त और जबाबदेह बनाकर, अपनी सरकारों और राजनितिक पार्टियों पर जनमत का दबाव बनकर, जैसे भी हो....
बलात्कार और योन हिंसा के मामले में अगर जल्द कड़ी सजा नहीं होती तो , एक के बाद एक ऎसी घटनाएं बढ़ती हैं, देश की अमूमन सभी लड़कियों, उनके अभिभावकों का आत्म विश्वास कम होता है, ले देकर इतने संघर्ष के बाद आज जो जरा से शिक्षा और रोजगार के मौके लड़कियों के हाथ लगे हैं, वो भी छीन जायेंगे। किसी की सरकारी नौकरी का विवाद हो या जायजाद का झंझट या फिर कुछ चोरी आदि, ये सब किसी एक परिवार को ही प्रभावित करते हैं, ये अपेक्षाकृत इन्तजार कर सकते हैं, खासकर ऎसी हालत में जब अदालतों की संख्या कम हो .. अच्छा हो की हर तरह के केस में जल्दी न्याय मिले, लेकिन वैसा संभव न हो, उसमें अगले बीस या 50 साल लग जाए, तब कुछ मामलों को प्रायरिटी देनी पड़ेगी ...
फिलहाल ये पिटीशन का लिंक है , इस पर हस्ताक्षर हम कर ही सकते हैं ...
http://www.change.org/petitions/union-home-ministry-delhi-government-set-up-fast-track-courts-to-hear-rape-gangrape-cases?utm_campaign=share_button_action_box&utm_medium=facebook&utm_source=share_petition&utm_term=36841248